Sunday, August 9, 2020

गुड़हल की मनमर्जियाँ

सबसे पहले मेरा नमस्कार आप सभी को जो पेड़-पौधों से बेशुमार प्यार करते हैं

यह पोस्ट लिख रहा हूँ बहुत से लोगों के बार-बार आते प्रश्न को देखकर कि उनके गुड़हल में बड्स तो आते हैं लेकिन वे फूलने से पहले गिर जाते हैं। शायद ही ऐसा कोई हो जिसे ये परेशानी न झेलनी पड़ी हो। मैं कोई एक्सपर्ट तो नहीं हूँ लेकिन गुडहल के फूलो से मुझे बहुत प्यार है। मुझे भी ये परेशानी आई तो मैंने कई लोगों से बात की और इंटरनेट पर बहुत पढ़ा, जो समझा-सीखा उसे आपके साथ साझा कर रहा हूँ। 

जो गुड़हल नर्सरी में फूलों और कलियों से भरा दिखता हो वह घर तक आते ही आपको निराश करता है। उसकी कलियां गिरने लगती हैं और ऐसा 1 से 2 दिन के अंदर शुरू हो सकता है। 

इसका एक कारण  यह भी है कि गुडहल बहुत मूडी किस्म का पौधा है। उसे नए माहौल में ढलने में थोड़ा वक़्त लगता है। इसलिए जो कलियां पहले से थीं वे तुरंत गिरने लगती हैं। और ऐसा अधिकतर उस मौसम में होता है जब एक मौसम ढल रहा हो और दूसरा दस्तक दे रहा हो। लेकिन घबराने की ज़रूरत नहीं कुछ समय बाद पौधा ख़ुद को एडजस्ट कर लेता है। उसे थोड़ा समय दें। सितंबर और अक्टूबर में गुड़हल अपनी कलियां गिरने नहीं देगा।

दूसरा कारण होता है कुछ कीड़ों का असर। अगर पीले होकर कलियाँ गिर रहीं हों तो उन्हें खोलकर देखें, हो सकता है कोई लार्वा हो। नहीं भी हो सकता। अगर है तो आपको किसी अच्छे कीटनाशक का छिड़काव करने की ज़रूरत है। 

तीसरी वजह होती है न्यूट्रिशन की कमी जिसे आप बोन मील, DAP या जैसे भी न्यूट्रिशन देना चाहें देकर, पूरा कर सकते हैं। बहुत से लोग केले और प्याज के छिलके का बना फ़र्टिलाइज़र देते है , हो सकता है यह काम करता हो लेकिन मुझे इसका ख़ास फ़ायदा नहीं दिखा।

चौथी वजह पानी से जुड़ी हो सकती है। ये ट्रॉपिकल प्लांट है तो इसे नमी बहुत पसंद है लेकिन नमी इतनी भी न हो कि जड़ें सड़ने लगें। ऊपर के लेयर की मिट्टी अगर हल्की सूखी सी दिखने लगे तो समझिए पानी चाहिए। इसका एक तरीका हो सकता है जो मैंने आजमाया और काम कर रहा है। ड्रेनेज यानी पानी निकलने का इंतेज़ाम अच्छा रखिये, और दोनों वक्त एक मात्रा फिक्स कर लीजिए पानी की, उतना ही दीजिये।

पांचवीं वजह हो सकती है जड़ों को फैलने की पर्याप्त जगह नहीं मिलना। तो अपना गमला बड़ा करके देखें, काम करेगा।

और सबसे ज़रूरी लेकिन अलहदा बात ज़रूरत से ज़्यादा केअर भी पौधों में कभी मौसम से लड़ने की ताकत आने नहीं देता। आपने अपने स्तर पर जो करना था किया उसके बाद उन्हें ख़ुद करने दें। वे लड़खड़ाते हुए ही सम्भलना सीखेंगे और जब सीख लेंगे तो आपके लिए सिर्फ और सिर्फ मुस्कुराने के मौके देंगे। उनसे ज़्यादा आस न लगाएं, और उस आस में ज़ल्दबाज़ी तो कतई नहीं। वे अपने स्वभावानुसार खिलेंगे, फलेंगे-फूलेंगे।


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